भारत में गेहूं प्रमुख रबी फसल है और इसकी उपज मौसम, मिट्टी, तापमान तथा सिंचाई जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है। यदि किसान सही समय और परिस्थितियों में बुवाई करें तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं गेहूं की अधिक पैदावार के लिए जरूरी बातें।
गेहूं के उत्पादन के लिए ठंडा और नम मौसम आवश्यक होता है। फसल पकने के समय गर्म और शुष्क मौसम लाभदायक रहता है।
• बुवाई के समय तापमान: 10°C से 15°C
• दाने बनने के समय तापमान: 21°C से 26°C
यह तापमान सीमा पौधों की वृद्धि और दानों की गुणवत्ता दोनों के लिए आदर्श मानी जाती है।
अच्छी जल निकासी वाली दोमट या बलुई दोमट मिट्टी गेहूं के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। वार्षिक वर्षा लगभग 50 से 100 सेंटीमीटर होनी चाहिए। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा हो तो फसल बेहतर विकसित होती है।
गेहूं मुख्य रूप से सिंचाई पर आधारित फसल है।
• समय पर सिंचाई से जड़ों का अच्छा विकास होता है।
• दाने बनने के दौरान पर्याप्त धूप मिलना आवश्यक है जिससे दाने चमकदार और भरे हुए बनते हैं।
उच्च उपज देने वाली, प्रमाणित गेहूं की किस्में के बीजों का चयन करें। नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटाश और सल्फर जैसे पोषक तत्वों का संतुलित प्रयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और पौधों को पर्याप्त पोषण मिले।
• सामान्य बुवाई का समय: मध्य नवंबर से मध्य दिसंबर तक
• सबसे उपयुक्त समय: 15 नवंबर से 10 दिसंबर तक
• अगेती बुवाई: 15 अक्टूबर से 15 नवंबर विशेषकर कम पानी वाले क्षेत्रों में
• पछेती बुवाई: 1 दिसंबर के बाद केवल पछेती किस्मों के साथ
• जड़ों का मजबूत और गहरा विकास
• अधिक कल्ले निकलना
• समान रूप से बढ़ती हुई फसल
• उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन
समय पर बुवाई करने से पौधों को विकास के लिए उपयुक्त तापमान और प्रकाश दोनों मिलते हैं जिससे उपज में वृद्धि होती है।
• ऐसी किस्मों का चयन करें जो देर से पकने वाली हों।
• बीज की मात्रा 20% तक बढ़ाएं ताकि पौधों की संख्या पर्याप्त रहे।
• देर से बुवाई करने पर उपज में कमी आ सकती है, इसलिए कोशिश करें कि बुवाई समय पर हो।
गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए सही जलवायु, उचित मिट्टी, संतुलित पोषण और गेहूं की बुवाई का समय समय का संयोजन बहुत जरूरी है। यदि किसान इन सभी बातों का पालन करें तो न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि दानों की गुणवत्ता भी उत्कृष्ट रहेगी।
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