skd seed

मक्का की खेती कैसे करें - पूरी जानकारी

भारत में मक्का, जिसे कई जगह भुट्टा या कॉर्न भी कहा जाता है, किसानों के लिए एक लाभदायक फसल है। मक्का की खेती सही तरीके से करने पर फसल उत्पादन और उपज दोनों बढ़ती हैं। पहले मक्का की खेती केवल खरीफ सीजन में की जाती थी, लेकिन अब बेहतर हाइब्रिड बीज और आधुनिक खेती तकनीक की मदद से किसान इसे सालभर उगा सकते हैं।

मक्का की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लागत कम और मुनाफा ज्यादा होता है।अगर किसान सही समय पर बुआई करें, उपजाऊ मिट्टी चुनें और उचित देखभाल करें, तो कम जमीन में भी अच्छी maize yield प्राप्त की जा सकती है।

मक्का की खेती के लिए आवश्यक जलवायु और मिट्टी

मक्का एक खरीफ फसल है, जो गर्म और नमी वाली जलवायु में अच्छी होती है।

  • तापमान: 18°C से 35°C तक
  • वर्षा: 50-100 सेमी तक पर्याप्त
  • मिट्टी: दोमट, बलुई दोमट या काली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है
  • pH मान: 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए

खेत में उचित जल निकासी होना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि मक्का के पौधों को जलभराव पसंद नहीं।

खेती की तैयारी और बुआई का सही तरीका

मक्का की खेती में खेत की तैयारी सबसे पहला और जरूरी कदम है। खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी भुरभुरी और पौधों के लिए अनुकूल बन जाए। इसके बाद प्रति एकड़ 8 - 0 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट डालें, जिससे मिट्टी उपजाऊ बनती है।

1. खेत की तैयारी

  • मिट्टी की जुताई 2–3 बार करें ताकि ढेले न रहें।
  • अंतिम जुताई में गोबर की खाद (8–10 टन प्रति एकड़) डालें।

2. बीज की मात्रा और दूरी

  • प्रति एकड़ बीज की मात्रा: 8–10 किलोग्राम
  • पौधे से पौधे की दूरी: 20–25 सेमी
  • कतार से कतार की दूरी: 60–70 सेमी

3. बुआई का समय

  • खरीफ सीजन: जून से जुलाई
  • रबी सीजन: अक्टूबर से नवंबर

सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन

पहली सिंचाई बुआई के 20–25 दिन बाद करें। उसके बाद हर 10–12 दिन पर पानी देते रहें।

अगर मौसम गर्म या सूखा हो, तो 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।

सिंचाई

पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन बाद करें। उसके बाद 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें।
अधिक गर्मी या सूखा होने पर 7 दिन के अंतराल पर पानी दें।

उर्वरक

  • नत्रजन (N): 120 किग्रा/हेक्टेयर
  • फास्फोरस (P): 60 किग्रा/हेक्टेयर
  • पोटाश (K): 40 किग्रा/हेक्टेयर

इन्हें तीन चरणों में विभाजित करें - बुआई के समय, 30 दिन बाद, और 50 दिन बाद।

हाइब्रिड मक्का की खेती (Hybrid Maize Farming)

आज किसान पारंपरिक किस्मों की बजाय हाइब्रिड मक्का बीज का उपयोग कर रहे हैं, जो अधिक उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और जल्दी पकने वाली फसल प्रदान करते हैं। हाइब्रिड मक्का की खेती से किसानों को पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20-30% अधिक पैदावार मिलती है।

हाइब्रिड मक्का की खेती के फायदे:

  • फसल जल्दी तैयार होती है।
  • दाने भारी और समान आकार के होते हैं
  • सूखा और कीटों के प्रति सहनशीलता अधिक होती है।
  • 20–30% अधिक उत्पादन
  • पौधों की वृद्धि समान रूप से होती है।

खेती की विशेष सिफारिशें:

  • बीज की मात्रा: 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़।
  • बुआई का समय: जून से जुलाई (खरीफ), फरवरी से मार्च (ग्रीष्म)।
  • उर्वरक: नत्रजन 120, फास्फोरस 60, पोटाश 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर।

SKB Seeds के हाइब्रिड मक्का बीज विशेष रूप से भारतीय परिस्थितियों के अनुसार तैयार किए गए हैं, जिनसे अधिक उत्पादन प्राप्त होता है।

रोग और कीट नियंत्रण

मुख्य रोग: पत्ती झुलसा, तना छेदक, मकड़ी कीट

नियंत्रण उपाय:

  • रोगग्रस्त पौधों को तुरंत हटाएँ।
  • बीजोपचार करें थायरम या कार्बेन्डाजिम (2.5 ग्राम/किग्रा बीज)
  • समय-समय पर जैविक कीटनाशक का प्रयोग करें।

मक्का की पैदावार बढ़ाने के तरीके

  1. प्रमाणित उन्नत बीज का उपयोग करें।
  2. संतुलित उर्वरक और जैविक खाद दोनों का प्रयोग करें।
  3. खरपतवार नियंत्रण के लिए समय पर निंदाई-गुड़ाई करें।
  4. ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई अपनाएँ।
  5. पौध संरक्षण के उपायों पर ध्यान दें।

मक्का की खेती भारतीय किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। यदि आधुनिक तकनीक, उन्नत बीज और संतुलित उर्वरक का उपयोग किया जाए, तो यह फसल न केवल अधिक पैदावार देती है बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत लाभदायक है।

अधिक जानकारी और उन्नत मक्का बीज के लिए देखें: https://www.skbseeds.com/

 

 

 

 

खरीफ सीजन (जून–जुलाई) सबसे उपयुक्त होता है, लेकिन रबी और ग्रीष्म दोनों मौसम में इसकी खेती संभव है।

 

100–120 दिनों में फसल तैयार हो जाती है, यह किस्म पर निर्भर करता है।

 

सामान्यत: 25–30 क्विंटल प्रति एकड़, लेकिन उन्नत बीज से 35–40 क्विंटल तक भी मिल सकती है।


SKB Hybrid Maize Seeds, HQPM-1, Vivek Hybrid 9 जैसे बीज अधिक उत्पादन देने वाले हैं।

 

back top