Soyabean ki Kheti - पूरी जानकारी बुवाई से कटाई तक
सोयाबीन भारत की मुख्य तिलहन फसलों में आती है। हर साल लगभग 12 मिलियन टन सोयाबीन का उत्पादन होता है। सबसे ज्यादा खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और तेलंगाना में होती है। सोयाबीन में लगभग 44% प्रोटीन और 22% तेल होता है, इसलिए इसे “सोया प्रोटीन पावरहाउस” कहा जाता है।
Soyabean ki Kheti से किसान सोया तेल, सोया दूध, टोफू, पशु आहार और कई हेल्थ उत्पाद तैयार कर सकते हैं। कम लागत और अच्छी कमाई के कारण किसान इसे खरीफ में अपनी प्रमुख फसल के रूप में चुनते हैं।
जलवायु और मिट्टी की आवश्यकताएं
सोयाबीन खरीफ की मुख्य फसल है और अच्छे उत्पादन के लिए सही जलवायु व मिट्टी बेहद जरूरी है।
- सोयाबीन के लिए 26-32°C तापमान अच्छा रहता है।
- हल्का गर्म और नम मौसम फसल को अच्छा बनाता है।
- खरीफ फसल है, इसलिए अच्छा मानसून जरूरी है।
- दोमट (लोमी) मिट्टी सबसे अच्छी रहती है।
- pH 6.0-7.5 पर पैदावार ज्यादा मिलती है।
- पानी रुकने वाली भारी मिट्टी में जड़ सड़न बढ़ जाती है।
बुवाई का सही समय
- बुवाई जून के तीसरे सप्ताह से जुलाई मध्य तक करें।
- कम से कम 100 मिमी पहली बारिश होने के बाद बुवाई करें, इससे अंकुरण अच्छा होता है।
खेत की तैयारी
- गर्मियों में 1 बार गहरी जुताई करें।
- हर 3 साल में एक बार गहरी जुताई करके कठोर परत तोड़ना फायदेमंद है।
- उसके बाद 1–2 जुताई करके खेत भुरभुरा बनाएं।
- ब्रॉड बेड फरो (BBF) या रेज्ड बेड बनाना अच्छा रहता है ताकि पानी जमा न हो।
- सोयाबीन को पिछली सोयाबीन फसल के बाद न बोएं। फसल चक्र अपनाएँ।
Soyabean ki Kheti - हाइब्रिड तरीके से
हाइब्रिड सोयाबीन साधारण सोयाबीन से ज्यादा उपज देता है, जल्दी तैयार होता है और कई बीमारी-कीटों से बचा रहता है। इसलिए किसानों में इसकी खेती बहुत लोकप्रिय है।
खरीफ मौसम यानी जून-जुलाई में इसकी बुवाई सबसे सही रहती है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हाइब्रिड सोयाबीन की खेती से किसान 20-30 क्विंटल/हेक्टेयर तक अच्छी पैदावार लेते हैं।
खेत तैयारी और बुवाई
- 2-3 बार गहरी जुताई करें।
- दोमट मिट्टी (pH 6-7.5) सबसे अच्छी रहती है।
- प्रमाणित हाइब्रिड बीज ही उपयोग करें।
- बीज दर: 60–80 किग्रा/हेक्टेयर।
- बीज को राइजोबियम और पीएसबी से उपचारित करें।
- कतार दूरी: 30-45 सेमी, पौधा दूरी: 5-10 सेमी रखें।
मुख्य हाइब्रिड किस्में
मुख्य हाइब्रिड सोयाबीन किस्में हैं: अवंतिका आर 99, पुष्पा आर-555 और केडीएस 992 फुले दुर्वा, जो ज्यादा पैदावार और अच्छी गुणवत्ता देती हैं।
1. AVANTIKA R 99
- दाने बड़े और अच्छी क्वालिटी के।
- फसल 95–100 दिन में तैयार।
- बीज दर: 25–30 किग्रा/एकड़।
- कम पानी में भी अच्छी उपज (25–30 क्विंटल/हेक्टेयर)।
- भरोसेमंद और स्थिर पैदावार देने वाली किस्म।
2. PUSHPA R-555
- पौधा मजबूत और ज्यादा शाखाओं वाला।
- 95–100 दिन में फसल तैयार।
- बीज दर: 25–30 किग्रा/एकड़।
- उपज: 18–22 क्विंटल/हेक्टेयर।
- अच्छी क्वालिटी के कारण बाज़ार में बढ़िया रेट मिलता है।
3. KDS 992 (Phule Durva)
- बड़े, चमकदार और सुंदर दाने।
- महाराष्ट्र और सूखा-प्रभावित इलाकों के लिए बढ़िया।
- 95–100 दिन में तैयार।
- सूखा और तेज हवा सहन कर लेती है।
- उपज: 24–32 क्विंटल/हेक्टेयर।
- तेल की मात्रा करीब 20%, इसलिए ज्यादा मांग।
उर्वरक, सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
सोयाबीन नाइट्रोजन खुद बनाती है, इसलिए नाइट्रोजन की जरूरत कम होती है।
खाद प्रबंधन
- खाद मात्रा: 20 : 60–80 : 40 : 20 (N : P : K : S)
- 10–20 टन/हेक्टेयर सड़ी गोबर खाद डालें।
- 25 किग्रा/हेक्टेयर जिंक सल्फेट दें।
- सल्फर देने से फली और दाना अच्छे भरते हैं।
सिंचाई
- आमतौर पर सोयाबीन बिना सिंचाई के होती है।
- बारिश कम हो तो फूल आने और दाना भरने के समय 1 सिंचाई दें।
- खेत में पानी बिल्कुल न रुकने दें।
खरपतवार नियंत्रण
- बुवाई के 20–25 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें।
- शुरुआती 40 दिन खेत को खरपतवार-मुक्त रखें।
कीट एवं रोग प्रबंधन
- सोयाबीन में कई कीट और रोग लगते हैं, जैसे तना मक्खी, पत्ती काटने वाले कीट (लीफ माइनर), फली छेदक और सफेद मक्खी।
- रोगों में पीला मोजेक, एंथ्रेक्नोज, रस्ट और पाउडरी मिल्ड्यू आम हैं।
- इनसे बचाव के लिए बीज को राइजोबियम और PSB से उपचारित करें, खेत में समय पर खरपतवार हटाएँ, रोग-प्रतिरोधी किस्में लगाएँ और फेरोमोन तथा स्टिकी ट्रैप का उपयोग करें।
- यदि नुकसान बढ़े, तो सलाह के अनुसार सही कीटनाशकों का छिड़काव करें।
कटाई और उपज
- सोयाबीन की फसल 90–145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
- जब पत्तियाँ पीली होकर झड़ने लगें और दानों में लगभग 15% नमी रह जाए, तब कटाई का सही समय होता है।
- सामान्य परिस्थितियों में 18–35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है।
- अच्छी तकनीकें अपनाने पर पैदावार 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है।
- कटाई के बाद दानों को अच्छी तरह सुखाकर नमी 10% से कम करें।
- भंडारण हमेशा सूखी, साफ और हवादार जगह में करें।
- दानों को कीटों से बचाने के लिए नीम की पत्तियाँ या फ्यूमिगेशन का उपयोग करें।
निष्कर्ष
सोयाबीन की खेती कम लागत में ज्यादा कमाई देने वाली खरीफ फसल है। अगर किसान सही समय पर बुवाई करें, अच्छी किस्में चुनें, खाद-सिंचाई-खरपतवार नियंत्रण ठीक से करें और कीट-रोग प्रबंधन अपनाएं, तो वे ज्यादा पैदावार और अच्छी आमदनी कमा सकते हैं।
सोयाबीन की खेती में अच्छी पैदावार का सबसे बड़ा राज़ है सही बीज। मजबूत बीज से पौधे जल्दी बढ़ते हैं, फलियां अच्छी भरती हैं और उत्पादन भी बढ़ता है। इसी लिए किसान SKB Seeds पर भरोसा करते हैं, क्योंकि यह उच्च-गुणवत्ता वाले, ज्यादा उपज देने वाले और रोग-प्रतिरोधी सबसे बेहतरीन सोयाबीन बीज उपलब्ध कराता है। अगर आप इस सीज़न में सोयाबीन से ज्यादा मुनाफा चाहते हैं, तो SKB Seeds के बीज आपका सही साथी हैं।
FAQS
1. सोया की बुवाई कैसे करें?
सोयाबीन को 3–4 सेमी की उथली गहराई पर बोएं ताकि बीज जल्दी और अच्छे से अंकुरित हों।
2. मुझे अपना सोयाबीन कब बेचना चाहिए?
जनवरी से मार्च सोयाबीन बेचने के लिए सबसे अच्छे महीने माने जाते हैं।
3. सोयाबीन की खेती कितने दिनों में तैयार होती है?
सोयाबीन की फसल लगभग 140–145 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
4. सोयाबीन किस जमीन में बोया जाता है?
सोयाबीन अच्छी जल निकासी वाली दोमट (Loamy) मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है।